बांका लाइव ब्यूरो : ‘नदी किनारे घर बसे हैं, और बाढ़ का खतरा सामने है..’ जनकवि दुष्यंत कुमार की एक प्रसिद्ध गजल की यह प्रसिद्ध पंक्ति बांका जिले में नदियों के किनारे बसे गांवों की बहुसंख्य आबादी की वर्तमान मनोदशा को लेकर बेहद सटीक बैठती है। पहाड़ी और पठारी भूगोल वाले बांका जिले में नदियों का जाल है और सैकड़ों गांव इन नदियों के किनारे बसे हैं। बारिश की दस्तक के साथ ही इन गांवों के लोगों का अंतर्मन संभावित बाढ़ की आशंका से विचलित होने लगता है।
इनमें सर्वाधिक प्रमुख और बड़ी नदी है चांदन, जिस पर बांका जिले के ही लक्ष्मीपुर शक्ति नगर के पास डैम बना है। 60-70 के दशक में बने इस डैम में अथाह जल राशि भंडारण की क्षमता तब थी। डैम का क्रेस्ट लेवल 500 फीट था। लेकिन रखरखाव और जीर्णोद्धार के अभाव में लगातार गाद भरते जाने की वजह से आज इसका क्रेस्ट लेवल घटकर इसकी वास्तविक क्षमता से सिर्फ 35% के आसपास रह गया है।
अब आप ऐसे समझ लीजिए कि जिस डैम का क्रेस्ट लेवल 500 फीट है और वह भी एक विस्तृत दायरे में, वह आज गाद भर जाने की वजह से सिमटकर एक बांध के रूप में परिलक्षित होने लगा है। अभी बारिश की शुरुआत ही हुई है और इसमें ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 485 फीट के लेवल तक पानी का स्तर पहुंच चुका है। मतलब सिर्फ 15 सीट और पानी होने के बाद डैम स्पील करने लगेगा। यह पानी चांदन नदी में गिरेगा। स्पील ज्यादा होने पर बाढ़ की स्थिति हो जाती है। बस, इसी आशंका से चांदन नदी के किनारे बसे गांवों के लोग बारिश शुरू होते ही सहम जाते हैं।
मानसून की दस्तक के साथ ही क्षेत्र में बारिश का सिलसिला जो शुरू हुआ है, थमने का नाम नहीं ले रहा। लगातार एक सप्ताह से यहां अच्छी खासी बारिश हो रही है, जिसकी वजह से डैम का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को जहां 479 फीट का लेवल था, वहीं बुधवार को बढ़कर 482 तक पहुंच गया। गुरुवार को यह लेवल 485 के आसपास है। 500 फीट का लेवल आने के साथ ही डैम स्पील करने लगता है।
वर्ष 1995 में बांका जिले का भूगोल बदल कर रख देने वाली विनाशकारी बाढ़ चांदन डैम से 14 फीट पानी स्पील करने की वजह से आई थी। इसके बाद के वर्षों में भी यह सिलसिला जारी रहा। भले ही तब बाढ़ की गंभीरता अपेक्षाकृत कम रही। यह पहली बार नहीं हो रहा कि बारिश की दस्तक के साथ ही डैम का जल स्तर क्रेस्ट लेवल छूने को जल्दबाजी में है। बल्कि पिछले करीब दो दशक से डैम के जल भंडारण क्षेत्र में गाद की वजह से इसकी क्षमता कम हो जाने के कारण यह समस्या बनी हुई है।