धार्मिकबांका

तेलडीहा शक्तिपीठ में जल्द ही शुरू होने वाली है ये परंपरा, मेढ़पति ने प्रशासन से मांगी अनुमति

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बांका लाइव ब्यूरो : बिहार के बांका जिले में स्थित सुप्रसिद्ध मातृ शक्तिपीठ तेलडीहा मंदिर में जल्द ही नियमित पारंपरिक पूजा अनुष्ठान आरंभ हो सकता है। मंदिर के मेढ़पति परिवार की ओर से इसके लिए प्रशासन से अनुमति मांगी गई है। मेढ़पति परिवार द्वारा प्रशासन से मंदिर में पाठा बलि की परंपरा को भी नियमित करने की अनुमति मांगी गई है। गत वर्ष पहले चरण की कोरोना महामारी प्रसार के बाद लगाए गए लॉकडाउन के दौरान से ही इस मंदिर में नियमित पूजा पाठ, अनुष्ठान एवं पाठा बलि की परंपरा को विराम लग गया है।

अब जबकि दूसरे वेव के कोरोना संक्रमण के दौरान लगाए गए लॉकडाउन का दौर खत्म हो चुका है और मंदिरों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाने की अनुमति सरकार ने दे दी है, तो मंदिर प्रबंधन की भी राय है कि अंतर राज्यीय स्तर पर प्रसिद्ध तेलडीहा शक्ति पीठ में पारंपरिक पूजा अनुष्ठान एवं पाठा बलि फिर से शुरू कर दी जाए। हालांकि मंदिरों पर से प्रतिबंध हटाए जाने के सरकार के निर्णय के बाद यहां श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला तेज हो चुका है। मंदिर में नियंत्रित दायरे में पूजा पाठ भी आरंभ हो चुका है।

लॉकडाउन के दौरान मंदिर परिसर में प्रवेश की भी अनुमति नहीं थी। इसलिए सरकारी आदेश के अनुरूप मंदिर परिसर को कैनवास से घेर कर इसे सिर्फ पुजारी, मेढ़पति एवं भगत के लिए सीमित कर दिया गया था। फिर भी अनेक श्रद्धालु यहां आते जरूर थे, लेकिन दूर से ही माता से प्रार्थना कर वापस लौट जाते थे। सरकार द्वारा लॉकडाउन को समाप्त कर बिहार भर में मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों पर लगे प्रतिबंध को स्थगित किए जाने के बाद यहां पूजा पाठ का सिलसिला एक बार फिर से शुरू हो चुका है। परिक्रमा एवं दर्शन पूजन के लिए यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगने लगी है।

इधर भाद्रपद समाप्ति की ओर है और आश्विन मास में पितृ पक्ष के बाद देवी पक्ष आने वाला है। दुर्गा पूजा में तेलडीहा शक्ति पीठ न सिर्फ बांका और आसपास बल्कि बिहार के अन्य जिलों के साथ-साथ बंगाल, असम एवं झारखंड के लाखों श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना और दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर में प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को भी बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और हजारों की संख्या में पाठा की बलि चढ़ती है।

तेलडीहा शक्तिपीठ में हर वर्ष दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां की ऐतिहासिक परंपरा के अनुरूप अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए श्रद्धालु मंदिर परिसर में पाठा की बलि भी चढ़ाते हैं। दशहरा सम्मुख देख मंदिर में एक बार फिर से पाठा की बलि की परंपरा शुरू करने की दिशा में मेढ़पति परिवार की ओर से प्रयास शुरू हो गए हैं। बताया गया कि इस संबंध में गणपति परिवार की ओर से जिला प्रशासन से आवश्यक मार्गदर्शन के साथ अनुमति के लिए प्रार्थना की गई है।


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