बांका लाइव ब्यूरो : कोरोना संकट की विभीषिका के बीच बांका में अफवाह ब्रिगेड भी सक्रिय हो गया है। जहां-तहां बेसिर पैर की बातें भी उछल रही हैं। भोले वाले लोग भी बिना सोचे विचारे और सत्यापन के अफवाह ब्रिगेड की बेसिर पैर की बातों को एक दूसरे तक पहुंचाने में पीछे नहीं रहते।
अफवाह ब्रिगेड हालांकि वैश्विक महामारी कोरोना के प्रसार के आरंभिक दिनों से ही यहां सक्रिय है। लेकिन पहले जनता कर्फ्यू और उसके बाद लॉक डाउन के दौरान लोग जब घरों में बंद रहे, तब इस ब्रिगेड की करतूत कुछ ज्यादा ही बढ़ चढ़ गई। बाकी कसर यह अफवाह ब्रिगेड प्रवासी श्रमिकों के आगमन की फ्रीक्वेंसी बढ़ जाने के बाद यहां पूरी कर रहा है।
बांका में अफवाहों का दौर कोई नया नहीं है। पहले भी जब-तब यहां किसी ना किसी बात को लेकर अफवाह उड़ते रहे हैं। लेकिन लॉक डाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की स्थितियों और इंटरनेट ट्रांसमिशन फैसिलिटी का बेजा लाभ उठाते हुए जिस तरह अफवाह ब्रिगेड ने यहां बेसिर पैर की बातें उड़ाईं, उनसे इस कठिन दौर में लोग अलग से परेशान होते रहे।
यहां सक्रिय अफवाह ब्रिगेड का ताजा निशाना बने यहां के एक लोकप्रिय डॉक्टर। हालांकि पहले भी यहां के कई डॉक्टर अफवाह ब्रिगेड के निशाने पर रह चुके हैं। लेकिन ताजा मामले में बांका शहर के सबसे प्रमुख मार्ग कचहरी रोड पर जिला परिषद मार्केट के सामने स्थित एक प्राइवेट क्लीनिक के चिकित्सक डॉ एस ए मल्लिक के बारे में यहां विगत 2 दिनों से इस अफवाह को हवा दी गई कि उन्होंने एक संदिग्ध कोविड-19 पेशेंट का इलाज किया है और इसलिए उन्हें क्वॉरेंटाइन में ले जाया गया है।
हालांकि सत्यापन करने पर यह बात पूरी तरह अफवाह ही निकली। स्वयं डॉ मल्लिक, जो बांका शहर में मुन्ना डॉक्टर के रूप में लोकप्रिय हैं, ने स्वयं सामने आकर बताया कि वह पूरी तरह स्वस्थ और कुशल हैं और ना ही उन्होंने किसी संदिग्ध कोविड-19 पेशेंट का इलाज किया है। उन्होंने उन्हें क्वॉरेंटाइन में ले जाए जाने की अफवाह पर घोर आश्चर्य और अफसोस भी व्यक्त किया।
डॉक्टर एस ए मालिक ने बताया कि दो दिन पूर्व शाम को एक महिला पेशेंट उनके पास आई थी। वह रोजे में थे। और जिस वक्त वह पेशेंट आई, उस समय उनके रोजा खोलने का वक्त था। वह इफ्तार के लिए घर जा रहे थे। पेशेंट के साथ आए लोगों के आग्रह पर उन्होंने मरीज के सिम्टम्स पूछे। यह बताए जाने पर कि उसे बुखार है, उन्होंने उसे सदर अस्पताल जाने को कहा।
पेशेंट ने कहा कि वह अस्पताल से लौट आई है और उसे भागलपुर अस्पताल रेफर किया गया है। लेकिन वह सरकारी अस्पताल जाना नहीं चाहती। उसे भागलपुर के ही किसी प्राइवेट अस्पताल में रेफर कर दिया जाए। डॉक्टर मल्लिक ने बताया कि इस आग्रह पर उन्होंने उस पेशेंट को भागलपुर के एक प्राइवेट नर्सिंग होम के लिए रेफर कर दिया। पेशेंट लेकर उसके परिजन वापस चले गए। और वह भी रोजा खोलने अपने घर चले गए।
बस, यहीं से उनके विरुद्ध अफवाह का दौर शुरू हुआ। क़रीब आधे घंटे के बाद से ही उन्हें उनके कुशल क्षेम पूछने के लिए कॉल्स एवं मैसेज आने शुरू हो गए। इससे वह काफ़ी चकित हो गए। पहले तो कुछ लोगों को उन्होंने जवाब दिया। अपने स्वस्थ और कुशल होने की बात बताई। इस अफवाह का उन्होंने खंडन भी किया। लेकिन अफवाह काफी बढ़ती चली गई जिससे डॉ मल्लिक काफी व्यथित दिखे।
उन्होंने कहा कि वह दशकों से बांका के लोगों की रात और दिन अहर्निश सेवा कर रहे हैं। न सिर्फ एक डॉक्टर के तौर पर, बल्कि यहां का बेटा बनकर वह यहां के लोगों के हर सुख दुख में उनके साथ खड़े रहते हैं। वे जिन मरीजों को अपनी चिकित्सा सेवा देते हैं, उनमें ज्यादातर गरीब, विवश और लाचार तबके के लोग होते हैं जिनका आशीर्वाद ही उनकी पूंजी है। ऐसे में षड्यंत्रपूर्वक उनके विरुद्ध अफवाह का प्रसार उन्हें काफ़ी विस्मित और मर्माहत कर गया है।