बांका लाइव ब्यूरो : एक ताजा राजनीतिक घटनाक्रम ने बांका जिले में सियासी भूचाल ला दिया है। बिहार के पूर्व मंत्री एवं जदयू नेता डॉ जावेद इकबाल अंसारी राजद में शामिल हो गए हैं। उन्होंने आज पटना स्थित राजद कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इससे पहले उन्होंने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्यागपत्र दे दिया। डॉ जावेद हाल तक जदयू के विधान पार्षद भी थे।
बांका के सियासी महकमे से जुड़े एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में मंगलवार को आखिरकार पूर्व मंत्री डॉक्टर जावेद इकबाल ने राजद की सदस्यता ग्रहण कर ली। राजद के पटना स्थित कार्यालय में आयोजित एक समारोह में नेता प्रतिपक्ष एवं राजद के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव के हाथों उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
इस अवसर पर उन्होंने डॉक्टर जावेद का स्वागत करते हुए कहा कि राजद में उनका पुनरागमन दरअसल उनकी घर वापसी है। उन्होंने अपना राजनीतिक कैरियर राष्ट्रीय जनता दल से ही शुरू किया था। वह बांका विधानसभा क्षेत्र से तीन बार राजद के टिकट पर विधायक चुने गए। हालांकि 6 वर्ष पूर्व राजद के भीतर हुए एक अंदरूनी उथल-पुथल के दौरान वह जदयू में शामिल हो गए थे।
जदयू में शामिल होने के बाद उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। उन्हें जदयू कोटे से बिहार विधान परिषद का सदस्य भी बनाया गया। डॉक्टर जावेद राजद में रहते हुए भी बिहार के मंत्री बने थे। राजद में अपने कार्यकाल के दौरान वह अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे, जबकि जदयू में शामिल होने के बाद उन्हें पर्यटन मंत्रालय दिया गया था।
डॉ जावेद इकबाल अंसारी बांका जिले के धोरैया प्रखंड अंतर्गत चलना गांव के रहने वाले हैं। वह बांका विधानसभा क्षेत्र से तीन बार राजद के टिकट पर विधायक चुने गए उनके फिर से राजद में शामिल होने से बांका जिले में पार्टी को नई ताकत और नया जनाधार प्राप्त होगा, ऐसा राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है।
इससे पहले गत 8 जून को ही डॉ जावेद इकबाल ने जदयू की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस संबंध में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष को प्रेषित अपने पत्र में उन्होंने कहा था कि वे व्यक्तिगत कारणों से जनता दल यूनाइटेड का सदस्य नहीं बने रहना चाहते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष से कहा था कि वे पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने उनका इस्तीफा स्वीकार करने की भी मांग जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष से की थी।
इस बीच उन्होंने कहा कि काफी दिनों से उन्हें जदयू में रहते हुए राजनीतिक घुटन हो रही थी। वह जदयू की राजनीतिक भूमिका से संतुष्ट नहीं थे। हाल के वर्षों में जदयू भारतीय जनता पार्टी का एक पिछलग्गु दल बनकर रह गया है। आखिर कोई ना कोई रास्ता तो निकालना ही था। उन्होंने अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं से विमर्श के बाद फिर से राजद में पुनर्वापसी का निर्णय लिया। उनके इस निर्णय का बांका जिले में राजद के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है।