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वोट बहिष्कार पर अड़े ग्रामीण, मनाने पहुंचे जिला व स्थानीय प्रशासन के अधिकारी

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कटोरिया (रितेश सिंह) : कटोरिया प्रखंड अंतर्गत घोड़मारा पंचायत के कड़वामारणी, लीलावरण, नीमावरण, तरगच्छा एवं धोबनी गांव के ग्रामीणों द्वारा गांव के बगल नदी में पुल एवं पांचों गांवों को जोड़ने वाली सम्पर्क पथ नहीं बनने को लेकर वोट बहिष्कार के निर्णय को जारी रखते हुए मतदाता पर्ची लौटाने की खबर चर्चा में आते ही जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया। सोमवार को डीपीआरओ रंजन कुमार चौधरी,कटोरिया बीडीओ कुमार सौरभ एवं सीओ सागर प्रसाद ग्रामीणों को मतदान के लिए मनाने कड़वामरणी गांव पहुंचे और ग्रामीणों से विधानसभा चुनाव में मतदान करने की अपील की। 

लेकिन ग्रामीणों ने गांव स्थित नदी में मुख्यमंत्री सेतू योजना से बने आधे-अधूरे पुल को लेकर एनओसी की मांग की। जिसपर डीपीआरओ ने कहा कि इस योजना को पूर्ण करने के लिए योजना में बचे राशि की मांग को लेकर विभागीय कार्रवाही शुरू की जा चुकी है। लेकिन ग्रामीण नए सिरे से प्रधानमंत्री सेतु योजना से पुल का निर्माण करवाने की बात पर डटे रहे। 

उपस्थित सभी ग्रामीणों को डीपीआरओ ने काफी समझाने की कोशिश की। मौके पर डीपीआरओ ने कहा कि वोट बहिष्कार किसी समस्या का निदान नहीं है। वोट हर एक नागरिक का अधिकार है। वोट बहिष्कार लोकतंत्र का स्वस्थ परंपरा नहीं है। लोकतंत्र में आपको विरोध करने का अधिकार है। अगर आपको कोई उम्मीदवार अच्छा नहीं लगे तो इसके लिए चुनाव आयोग द्वारा नोटा का विकल्प भी दिया गया है। लेकिन अपने वोट को व्यर्थ न जाने दें।

लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए मतदान जरूरी है। 
डीपीआरओ ने कहा कि चुनाव नजदीक होने के कारण फिलहाल गांव की समस्या तो दूर नहीं की जा सकती है। लेकिन चुनाव के बाद गांव स्थित नदी में पुल एवं  गांवों को जोड़ने वाली संपर्क पथ के निर्माण में हर संभव सहायता करने की बात कही तथा पुलिस प्रशासन से गांव में लगे वोट बहिष्कार के बैनर हो हटवा दिया।   ग्रामीणों ने पांच गांवों की एक बैठक कर पुनः इस ओर निर्णय लेने की बात डीपीआरओ से कही। 

मौके पर ग्रामीण अनिरुद्ध मंडल, ज्योतिष कुमार मंडल, रविकांत मंडल, ओमप्रकाश मंडल, रविकांत मंडल, महेंद्र मंडल, अशोक यादव, रेखा देवी, राजेन्द्र राय, विष्णु यादव, टीमल यादव, मंजू देवी, भविष्य यादव, रामधनी यादव आदि ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव के समय ग्रामीणों ने नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के झांसे में आकर मतदान किया। लेकिन आज तक ग्रामीण पुल और सड़क के निर्माण का इंतजार करते रहे गए। जबकि इस परेशानी से लगभग तीन हजार ग्रामीण दशकों से जूझ रहे हैं। जंगल और नदियों के बीच ग्रामीणों का जीवन किसी वनवास से कम नहीं है।

पुल का निर्माण का कार्य वर्ष 2005 में  संवेदक द्वारा प्रारंभ कर सिर्फ जमीन से लगभग 1 फीट तक नदी में दीवाल देकर छोड़ दिया गया। जिसके 15 वर्ष बीत जाने के बाद भी गांव वासियों को अधूरे निर्माण का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अब तो योजना भी बंद हो चुकी है। साथ ही धोबनी स्थित मध्य विद्यालय से कड़वामारनी, निमावरण एवं लीलावरण होते हुए कटोरिया पंचायत के बाघमारी तक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण भी लंबित है। 

ग्रामीणों द्वारा कई बार इस ओर जनप्रतिनिधियों एवं सरकारी पदाधिकारियों आकृष्ट करने की कोशिश की गई। लेकिन आज तक कोई इस गांव की सुधि लेने नहीं पहुंच सके हैं। हालांकि चुनाव के वक़्त नेता वोट मांगने जरूर पहुंच जाते हैं और हर बार की तरह चुनाव जीतने पर पुल एवं सड़क की समस्या से निजात दिलाने का आश्वासन देकर अगले 5 सालों के लिए गायब हो जाते हैं।


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