समाजसेवी स्व शशिधर प्रसाद सिंह की स्मृति में निशुल्क चिकित्सा कैंप, डेढ़ सौ से ज्यादा मरीजों का हुआ इलाज
बांका लाइव ब्यूरो : समाजसेवी स्वर्गीय शशिधर प्रसाद सिंह की पुण्य स्मृति में निशुल्क चिकित्सा कैंप लगाया गया। बांका सदर प्रखंड के डांडा पंचायत अंतर्गत लीलावरन में यह कैंप लगाया गया। स्वर्गीय शशिधर प्रसाद सिंह की पौत्री दंत चिकित्सक डॉक्टर पुष्पम प्रियदर्शनी की पहल पर आयोजित इस निशुल्क चिकित्सा कैंप में डॉ पुष्पम के अलावा फिजीशियन डॉ अंकित मिश्रा एवं साईं नेत्रालय की टीम ने मरीजों की स्वास्थ्य जांच की। कैंप में डेढ़ सौ से ज्यादा मरीजों की स्वास्थ्य जांच एवं चिकित्सा की गई तथा उन्हें आवश्यक दवाइयां दी गई।
इस आयोजन में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के बड़ी संख्या में लोग अपनी स्वास्थ्य जांच कराने पहुंचे। डॉ पुष्पम ने बताया कि जांच में किसी भी प्रकार अस्वस्थ पाए गए मरीजों को दवाइयों एवं परामर्श के अलावा कार्ड दिए गए जिसके आधार पर अगले एक माह तक उनकी निशुल्क जांच एवं चिकित्सा की जाएगी। उन्होंने बताया कि इलाके के ज्यादातर लोगों की दातों में फ्लोराइड की अधिकता की वजह से होने वाली परेशानियां पाई गईं। उन्होंने कहा कि इसके पीछे उनके बीच जागरूकता का भी अभाव मुख्य वजह रहा है।
पायरिया की वजह से मसूड़ों से खून आना तथा बदबू उनके लक्षणों में शामिल थे। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग फ्लोराइड की अधिकता की वजह से दंत बीमारियों से ग्रस्त होते हैं लेकिन वे दातों में दाग एवं क्षरण में अंतर नहीं कर पाते जिससे बीमारियां बढ़ जाती हैं। डॉक्टर अंकित मिश्रा के मुताबिक सामान्य जांच में बहुत सारे लोगों ने पैरों में दर्द की शिकायत बताई। इसके कई कारण हो सकते हैं। संबंधित कारणों के आधार पर उनकी बीमारियों का इलाज किया गया। साईं नेत्रालय की टीम ने आंखों से संबंधित बीमारियों की जांच की।
इस मौके पर डॉक्टर पुष्पम के पिता एवं समाजसेवी स्वर्गीय शशिधर प्रसाद सिंह के पुत्र भाजपा एवं व्यापार मंडल के पूर्व जिलाध्यक्ष अनिल सिंह ने आगंतुक अतिथियों, चिकित्सकों एवं ग्रामीणों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि समाज में जागरूकता पैदा कर लोगों को बीमारियों के प्रति सावधान किया जा सकता है। यह हर नागरिक का कर्तव्य है। लोगों से भी उन्होंने अपने स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सजग रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के कैंप की जरूरत है जहां लोगों में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ उनकी जरूरत के मुताबिक आवश्यक चिकित्सा एवं परामर्श सेवा की जा सके।