बांका लाइव (चुनाव डेस्क) : यह चुनाव भी ना, इस बार बांका जिले को अजब-गजब रंग दिखा रहा है। लोग समझ नहीं पा रहे, यह क्या हो रहा है! गठबंधन के बीच तालमेल और प्रत्याशियों के संधान से लेकर चुनाव प्रचार अभियान तक के बीच की दूरी लोकतंत्र के इस महापर्व में अनूठे, अजब- गजब और विडंबना पूर्ण रंगों से रंगा है, जिन्हें देख जनता मुदित कम, विस्मित ज्यादा हो रही है!
गठबंधन दलों के तालमेल और प्रत्याशियों के संधान की बात बाद में। सबसे पहले जनता की आवाज, उनकी अपेक्षाओं, जरूरतों, समस्याओं और प्रतिक्रियाओं के साथ साथ उन्हें भ्रमित कर अपना अभीष्ट पूरा कर लेने की सत्ताधारी राजनीतिक गठबंधन के प्रत्याशियों के क्रीड़ा कौशल की चर्चा!
जिले के तकरीबन सभी 5 विधानसभा क्षेत्रों में 5 वर्षो से उपेक्षित जन समस्याओं को लेकर जन असंतोष इस बार के विधानसभा चुनावों के दरमियान कुछ ज्यादा ही मुखर होकर फट रहा है। कहीं बदहाल सड़क, टापू बने गांव, पेयजल संकट, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य, पुल के अभाव आदि को लेकर मतदाता अपने जनप्रतिनिधियों को कोसते हुए मतदान बहिष्कार की घोषणा कर रहे हैं।
…तो कहीं मतदाताओं को अपने विराट विकास पुरुष की छवि के दिव्य दर्शन कराने की गुंजाइश तलाशते खासकर सरकारी दलों के प्रत्याशियों की अप्रत्याशित प्रेरणा यहां की सड़कों पर दिख रही है। हालांकि बांका के लोगों ने वर्ष 1984 से ही यहां चुनावी विकास की हकीकत को खूब देखा, परखा और समझा है, जब चुनाव की दस्तक के साथ ही यहां बिजली के खंभे और सड़कों पर कोलतार के ड्रम हजारों की संख्या में उतर जाते थे और चुनाव की समाप्ति के साथ ही उन्हें फिर से यहां से ढोकर कहीं और ले जाया जाता था, जहां चुनाव होना होता था!
कमोबेश यही स्थिति एक बार फिर से फिलहाल बांका में दिख रही है। बांका शहर की सड़कें इन दिनों रातों-रात चकाचक हो रही हैं। जिन सड़कों पर बने गड्ढे में जमे पानी में बैठकर बीजेपी के ही एक बागी नेता और दूसरे युवाओं ने धरना दे अपने ही दल के विधायक के खिलाफ सरे चौराहा नारेबाजी की थी जिसके लिए नेता को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया, वे गड्ढे और उनमें जलजमाव की संभावनाओं पर तत्काल विराम लगाए जाने का उपक्रम किया जा रहा है।
शहर की ऑग्ज़ीलियरी सड़कों का कायाकल्प हो रहा है। मोहल्ले के लोगों, नहीं-नहीं, मतदाताओं को शहर में विकास के लिए भगवान विश्वकर्मा की मौजूदगी का अहसास कराया जा रहा है। लोग भी भ्रमित होकर ही सही, प्रमुदित हो रहे हैं। हालांकि शहरवासियों का बड़ा तबका इस उपक्रम को चुनावी प्रलोभन से अलग नहीं मानता। कुछ लोग इसे विकास का सोपान मान रहे हैं, लेकिन उनका यह मानना उनके कितने अंतर्मन से है, यह तो चुनाव के बाद ही पता चल सकता है।
बहरहाल, जहां जरूरत है, लोगों में असंतोष है, मतदाता वोट बहिष्कार की घोषणा कर रहे हैं.. वहां प्रशासनिक अधिकारी लोकतंत्र की परंपराओं और लोकतांत्रिक अधिकारों का वास्ता देकर मतदाताओं को फिलहाल अपनी समस्याएं भूल कर मतदान के लिए राजी करने हेतु मनाने की कवायद कर रहे हैं। सोमवार को कटोरिया विधानसभा क्षेत्र में कटोरिया प्रखंड के घोरमारा पंचायत अंतर्गत कड़वामारनी, लीलावरण, नीमावरण, तरगच्छा एवं धोबनी गांव के ग्रामीणों द्वारा गांव के ही समीप नदी में पुल एवं इन सभी गांवों को जोड़ने वाले संपर्क पथ के नहीं बनने को लेकर की गई वोट बहिष्कार की घोषणा पर संज्ञान लेते हुए प्रशासनिक पदाधिकारी उन्हें वोट के लिए मनाने गए थे।
उनके लिए पुल और संपर्क पथ की योजना फिलहाल नहीं है। लेकिन बांका विधानसभा क्षेत्र में ताबड़तोड़ रातों रात सड़क बनाए जाने की योजना है! कहा गया कि यह पहले की योजना थी। लेकिन इन सड़कों का निर्माण ऐन चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ही किए जाने के लिए यह योजना अब तक रोककर क्यों रखी गई थी! हालांकि सभी यह सब कुछ खूब समझते हैं, फिर भी यहां के लोग पूछ रहे हैं!