स्टेट डेस्क : संसद के पावस सत्र से पूर्व सेंट्रल केबिनेट के विस्तार की आहट सुनाई पड़ रही है। खबरों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं। इसी बीच बिहार से एक बड़ी खबर का सृजन हुआ है। खबर यह है कि जदयू संभावित कैबिनेट विस्तार में केंद्र सरकार में अपनी हिस्सेदारी की संभावनाओं को पुख्ता कर रहा है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने शनिवार को मीडिया के साथ बातचीत में पार्टी के इरादे का भी संकेत दिया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में जदयू की भी हिस्सेदारी हो। एनडीए में शामिल सभी दलों को सम्मान मिलना चाहिए।
स्मरणीय है कि विगत लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 34 सीटों पर भाजपा एवं जनता दल यूनाइटेड ने बराबर बराबर 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। बाकी के 6 सीटों पर लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार थे। इस चुनाव के बाद गठित केंद्रीय कैबिनेट में 6 सीटों पर लड़ने वाली लोजपा को जगह दी गई थी। रामविलास पासवान मंत्री बनाए गए थे। तब नीतीश कुमार केंद्र में ज्यादा हिस्सेदारी मांग रहे थे। नीतीश कुमार की इच्छा थी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनकी पार्टी के कम से कम 3 सांसदों को जगह मिले। लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया। फलस्वरुप नाराज होकर जदयू ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था। तब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में फिलहाल उनके अतिरिक्त 21 कैबिनेट और 9 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 29 राज्य मंत्री हैं। कुछ मंत्रियों के पास कई मंत्रालय हैं। मंत्री परिषद के सदस्यों की कुल संख्या 54 है। सुविज्ञ सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल के भावी फेरबदल और विस्तार में जिन प्रमुख हस्तियों को शामिल किया जा सकता है, उनमें सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, बैजयंत पांडा के नाम चर्चा में हैं। इस बीच जदयू नेतृत्व के नए स्टैंड से केंद्रीय मंत्रिमंडल के संभावित विस्तार में जदयू को भी शामिल करने की स्थितियां बन सकती हैं। मोदी सरकार में अभी बीजेपी के सहयोगी दलों में से एक भी कैबिनेट मिनिस्टर नहीं है। वैसे कुछ और सहयोगी दलों को भी विस्तार में जगह मिल सकती है।