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EXCLUSIVE : परोपदेशम पण्डितम’ ….यानी बांका जिले का स्वास्थ्य विभाग!

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देख लीजिए, कोरोना काल में दूसरों को एहतियात बरतने की हिदायत करने वाले स्वास्थ्य विभाग का खुद का क्या हाल है!

बांका लाइव ब्यूरो : ‘परोपदेशम पण्डितम’…. यानी बांका जिले का स्वास्थ्य विभाग! कोरोना काल में दूसरों को एहतियात बरतने की सख्ती से हिदायत करने वाले स्वास्थ्य विभाग का बांका जिले में खुद का क्या हाल है, आप स्वयं देख लीजिए…

कहते हैं, दूसरों को उपदेश देना आसान है। लेकिन खुद उन उपदेशों का परिपालन कर पाना बेहद कठिन। बांका जिले में स्वास्थ्य विभाग ने इस तथ्य को शायद समझ लिया है। तभी तो सदर अस्पताल जैसे संस्थान में फिजिकल डिस्टेंसिंग और मास्क वियरिंग जैसे कोरोना से बचाव के उपायों को ताक पर रख दिया गया है।

वर्तमान दौर कोरोना काल का सर्वाधिक संकट पूर्ण दौर चल रहा है। बड़े पैमाने पर जिले में कोरोना के संक्रमित मरीज रोज सामने आ रहे हैं। ऐसे में राज्य के कई जिलों में दोबारा लॉकडाउन जैसे के निर्णय लेने पड़े हैं। बांका जिले में भी कोरोना संकट की स्थिति उत्तरोत्तर गंभीर होती जा रही है। लेकिन बांका सदर अस्पताल में इससे बचाव के उपायों को लेकर आम लोगों के साथ-साथ प्रशासन भी गंभीर नहीं है।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत प्रत्येक माह की 9 तारीख को यहां सदर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की जांच होती है। हाई रिस्क प्रेगनेंसी को चिन्हित करने के लिए यह जांच होती है। गर्भवती माताओं में इस दौरान एडिमा, हेमोग्लोबिन और ब्लड प्रेशर जैसी संभावनाओं और वर्तमान स्थिति का परीक्षण जांच में किया जाता है। इस जांच हेतु बांका सदर अस्पताल में प्रत्येक माह की 9 तारीख को गर्भवती माताओं की बेहिसाब भीड़ उमड़ती है। लिहाजा 9 जुलाई को भी यहां उनकी भीड़ उमड़ी।

21 तारीख को पुनः उनकी जांच होती है। हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली गर्भवती माताओं को चिन्हित करके रखते हैं, ताकि समय पर सुरक्षित मातृत्व हेतु उनकी सुरक्षित डिलीवरी कराई जा सके। यह अभियान मातृ मृत्यु दर में कमी लाने हेतु चलाया गया है। वैसे इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। लेकिन जांच के लिए अस्पताल में उमड़ने वाली भीड़ वर्तमान दौर में, वह भी बिना सुरक्षा उपायों के, किसी खतरे से कम नहीं। 

कोरोना संकट के इस दौर में जिस तरह इस अभियान के नाम पर बांका सदर अस्पताल में सोशल एवं फिजिकल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, वह एक संभावित बड़े खतरे का ही संकेत है। उस पर तुर्रा यह कि अस्पताल में उमड़ने वाली गर्भवती माताओं की भारी भीड़ मास्क विहीन होती है। अस्पताल प्रशासन को इस खतरनाक स्थिति से कुछ लेना देना नहीं है। छोटे कर्मचारी जरूर इस खतरनाक स्थिति से सहमे हुए हैं। प्रशासनिक स्तर पर भी इस अभियान में कोरोना से बचाव को लेकर जारी हेल्थ गाइडलाइन को पालन करवाने की दिशा में कहीं कोई गंभीरता नहीं दिखती।


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