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अमरपुर नगर पंचायत : अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए पैसे व लालच का खेल

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बांका LIVE डेस्क : बांका जिले के अमरपुर नगर पंचायत में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष पद के लिए घमासान मचा है. जिले में अमरपुर एकमात्र नगर पंचायत है जहां हाल ही में नए बोर्ड के लिए चुनाव संपन्न हुए हैं. अमरपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष पद का चुनाव 9 जून को होना है. अमरपुर में नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए मुख्य रूप से दो प्रत्याशी आमने-सामने हैं. ये दोनों ही प्रत्याशी महिलाएं हैं क्योंकि अमरपुर नगर पंचायत अध्यक्ष पद इस बार महिला के लिए आरक्षित है. 

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फिलहाल इस पद के लिए जो दो प्रत्याशी आमने सामने हैं उनकी ओर से अध्यक्ष पद हथियाने के लिए हर संभव कोशिशें जारी हैं. वार्ड संख्या 13 से निर्विरोध निर्वाचित अंजलि भगत तथा मीनू महतो इस पद की रेस में सबसे आगे हैं. दोनों प्रत्याशियों की ओर से जोड़-तोड़ जारी है. वार्ड सदस्य की खरीद-फरोख्त की भी चर्चा आम है. हालांकि कोई भी वार्ड सदस्य या अध्यक्ष पद के दावेदार इस बात से इनकार करते हैं. अमरपुर नगर पंचायत में 14 वार्ड हैं.

फिलहाल अध्यक्ष पद के दोनों प्रत्याशियों की जो स्थिति है, बताया जाता है कि दोनों के पक्ष में सात-सात वोट हैं. बस एक वोट जिधर बढ़ जाएगा, संतुलन उनके पक्ष में हो जाएगा. इसलिए सदस्यों की काफी ऊंची कीमत लगने लगी है. दोनों पक्ष इसके लिए साम दाम दंड भेद की नीति अपना रहे हैं. दोनों ने सदस्यों की खरीद के लिए झोली खोल दी है. इस पद के लिए एक और प्रत्याशी श्वेता दास ने कमर कसी थी. हालांकि बाद में उन्होंने एक प्रत्याशी के पक्ष में समझौता कर लिया और उपाध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी. लेकिन उपाध्यक्ष पद के लिए कुछ और प्रत्याशी जोर-शोर से मैदान में हैं. खबर यह भी है कि डूमरामा क्षेत्र से 4 सदस्य होने की वजह से उन्होंने अपना एक अलग गुट बनाकर उपाध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश कर दी है.

लेकिन अध्यक्ष पद के दावेदारों में से कोई उन्हें खुलकर आश्वस्त करना नहीं चाहता, क्योंकि इससे उनका वोट संतुलन प्रभावित होने की गुंजाइश बन सकती है. फिलहाल उपाध्यक्ष पद के लिए जो नाम सामने आ रहे हैं, उनमें मौलाना अहमद, सुनील कुमार साह तथा कुंदन कुमार आदि प्रमुख हैं. बहरहाल अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव की तारीख में अभी 12 दिन शेष हैं. प्रत्येक दावेदार इस बीच अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते. उनकी ओर से हरसंभव कोशिश जारी हैं. इतना तो तय है कि इन पदों खासकर अध्यक्ष पद के लिए जोड़-तोड़ में अब पैसे का खेल मुख्य रोल अदा करने जा रहा है.


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