धार्मिकबांका

कांवरिया पथ पर गूंजने लगा है ‘बोल बम’ का नारा, श्रावणी मेला शुरू

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कांवरिया पथ (बांका लाइव ब्यूरो) : सुप्रसिद्ध श्रावणी मेला प्रारंभ हो चुका है। उत्तरवाहिनी गंगा तट अजगैबीनाथ धाम सुल्तानगंज से आरंभ होकर यह मेला बाबाधाम देवघर के बीच करीब 108 किलोमीटर में लगता है। सावन पर्यंत लगने वाले शिव भक्तों के इस नायाब विश्व प्रसिद्ध कांवर मेले में दुनिया भर से तकरीबन 50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु हर वर्ष शामिल होते हैं। पूरे महीने सुल्तानगंज से लेकर बाबाधाम देवघर तक का संपूर्ण कांवरिया मार्ग बोल बम के नारों से गुंजायमान रहता है।

कमरांय के पास श्रावणी मेले का उद्घाटन करते मुंगेर के डीएम व अन्य

यों तो श्रावणी मेला इस वर्ष 16 जुलाई से आरंभ होकर 15 अगस्त तक चलेगा और औपचारिक रूप से इस मेले की शुरुआत 16 जुलाई से होगी, लेकिन संक्रांति के हिसाब से इस मेले की शुरुआत सावन शुरू होने से कुछ रोज पूर्व से ही हो जाती है। आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा सुल्तानगंज घाट से जल उठाव एवं कंवर यात्रा शुरू करने की वजह से श्रावणी मेले का आरंभ आज से ही जोर-शोर से हो गया।

श्रावणी मेले का औपचारिक उद्घाटन कल सुल्तानगंज में दोपहर बाद और इसी दिन शाम में बांका जिले की सीमा में कांवर यात्रा के प्रवेश स्थल धौरी धर्मशाला के पास किया जायेगा। लेकिन कांवरिया पथ पर आज से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की यात्रा आरंभ हो चुकी है। कांवरिया पथ केसरिया रंग से सराबोर और बोल बम के नारों से गुंजायमान हो उठा है। कांवरिया पथ पर सेवा शिविर और दुकाने सज गई हैं। चहल-पहल काफी बढ़ गई है। संपूर्ण कांवरिया पथ पर शिव भक्ति के गीत गूंजने लगे हैं।

संपूर्ण कांवरिया पथ करीब 108 किलोमीटर का है, लेकिन इसका करीब दो तिहाई हिस्सा बांका जिला अंतर्गत पड़ता है। यही वजह है कि कांवरियों के स्वागत और उनकी सेवा व सुविधा इंतजामों का बड़ा दारोमदार बांका जिला प्रशासन पर ही होता है। लेकिन दुर्भाग्यवश प्रशासन इस ख्याति प्राप्त मेले को लेकर जिन इंतजामों का दावा करता है उतना कांवरिया पथ पर दरअसल मुकम्मल नहीं हो पाता। इस बार भी आधे अधूरे इंतजामों के बीच श्रावणी मेला आरंभ हुआ है।

वह तो देश विदेश से आकर यहां लगाए जाने वाले हजारों सेवा शिविरों से कांवरियों की थकान और पीड़ा मिटाने की कोशिश होती है, वरना प्रशासन के भरोसे किए गए इंतजाम महीने भर में कांवरिया पथ पर चलने वाले तकरीबन पचास लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के लिए ऊंट के मुंह में जीरे की मानिंद ही साबित होते हैं। कुल मिलाकर हर वर्ष शिव भक्त बाबा के भरोसे ही अपनी कांवर यात्रा पूरी करते हैं। इस बार भी कम से कम शुरुआती दौर में कांवर यात्रा बाबा के ही भरोसे मुकम्मल होने वाली है।


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