नव विक्रम संवत्सर की वर्ष प्रतिपदा पर रहा जश्न का माहौल, भगवा ध्वज से पटा शहर
देश में भारतीय संवत्सर के रूप में विक्रम संवत को मान्यता प्राप्त है। ईसा पूर्व 57 वर्ष में भारतीय उपमहाद्वीप के महापराक्रमी सम्राट विक्रमादित्य जिनकी राजधानी उज्जैनी थी, के द्वारा संपूर्ण राज्य को ऋण मुक्त कर दिए जाने के बाद विक्रम संवत का प्रचलन आरंभ किया गया था। शकों से भी प्रजा को निजात दिलाने की याद में विक्रम संवत आरंभ किए जाने की बात कही जाती है। भारतीय मान्यताओं के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही ब्रह्मा देव ने सृष्टि की रचना की थी। इस लिहाज से भी सनातन भारतीय परंपरा में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को वर्ष प्रतिपदा के रूप में मान्यता प्राप्त है।
वर्ष प्रतिपदा के अवसर पर आज हर तरफ उल्लास और हर्ष का वातावरण रहा। लोगों ने एक दूसरे के घरों में जाकर उन्हें भारतीय नव संवत्सर की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। कई जगह विचार गोष्ठी एवं साहित्य गोष्ठियां भी आयोजित की गयी। आज नव संवत्सर के दिन ही वासंती नवरात्र का भी आरंभ होता है। इसलिए भी उत्सवी माहौल की चमक दूनी हो गयी। कई जगह सामूहिक भोज आदि का भी आयोजन हुआ। लोगों ने अपने-अपने घरों और दुकानों में भी भगवा ध्वज लगाए। देर शाम तक नव संवत्सर की बधाई और विभिन्न आयोजनों का सिलसिला जारी रहा।