ब्यूरो रिपोर्ट / पटना : जाति आधारित जनगणना के बहाने पिछड़ा कार्ड खेलकर बीजेपी को घेरने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुहिम का जवाब देने बीजेपी सड़कों पर उतरने की रणनीति बना चुकी है। इसी रणनीति के तहत बीजेपी ने आगामी 19 अगस्त से जन आशीर्वाद यात्रा निकालने का फैसला किया है। पार्टी आलाकमान के सूत्रों के मुताबिक इस यात्रा के बहाने लोगों को यह जानकारी देने की कोशिश की जाएगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार पिछड़े समाज से इतनी संख्या में मंत्रियों को अपने कैबिनेट में शामिल किया है, जो अब से पहले कभी नहीं हुआ।
जाति आधारित जनगणना को लेकर बिहार में इन दिनों सियासी माहौल गर्म है। ऐसे गर्म माहौल में बीजेपी को लगता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मुद्दे पर कमोबेश उसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं जो विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बोल रहे हैं। बीजेपी के अंदरूनी गलियारे चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस प्रसंग को लेकर पार्टी को फंसाने की मुहिम चला रहे हैं।
ज्ञात हो कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जाति आधारित जनगणना को लेकर जो भी मांगें रखीं, जदयू के सुप्रीम लीडर एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें तत्काल मान लिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल सहित दूसरी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए पत्राचार भी कर चुके हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी भी इस मुहिम की काट के लिए अब एक्शन मोड में है।
बिहार प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कैबिनेट विस्तार में पहली बार पिछड़े वर्ग के 27 शख्सियतों को मंत्री बनाया है। यह पहला अवसर है जब इतनी बड़ी संख्या में एक साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल में पिछड़ों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा- बीजेपी ने फैसला किया है कि जहां से भी कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं, वहां जन आशीर्वाद यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा 19 अगस्त से गया से शुरू होगी जो कैमूर और सासाराम होते हुए बिहार के 20 जिलों में जाएगी। इस यात्रा के माध्यम से लोगों को बताया जाएगा कि भाजपा ने पिछड़ों को कितना सम्मान दिया है।
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर जाति आधारित जनगणना से क्या फायदा हो सकता है! जब सर्वोच्च अदालत पहले ही यह फैसला सुना चुका है कि देश में 50% से ज्यादा आरक्षण लागू नहीं किए जा सकते। जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दायरे में ही काम किया जा सकता है, फिर जाति आधारित जनगणना का क्या मतलब! वैसे इस दिशा में केंद्र सरकार हर एक पहलू को गंभीरता से देख रही है, उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। जब वह 15 सालों तक बिहार में शासन में थे, केंद्र सरकार में भी 10 सालों तक वह ताकतवर स्थिति में रहे, उस वक्त उन्होंने क्यों नहीं जाति आधारित जनगणना की बात उठाई? अब जबकि देश में सब कुछ सामान्य चल रहा है, तब इस प्रकार के सवाल पैदा कर सामाजिक विद्वेष पैदा करने की राजनीति किसी भी स्थिति में उचित नहीं ठहरायी जा सकती।